Thursday, January 20, 2011

पानी का खेल

एक बड़े नगर का भीडभाड वाला स्टेशन .
एक बंद लिफाफा स्टेशन अधिक्षक की तरफ बढ़ाते हुए उसने धीमी आवाज नें कहा --अग्रिम है साहब ....पुरे पांच हजार .....बाकि बाद में पहुंचा दूंगा....1 
" ठीक है, अब आप जाइये ...आपका काम हो जायेगा 1 " लिफाफा जेब के हवाले करते हुए स्टेशन अधिक्षक ने कहा.
वह स्टेशन अधिक्षक के कमरे से बहार निकलने के लिए मुडा, लेकिन पलभर को रुककर उसने कुछ याद दिलाने के लहजे में फिर कहा -" साहब टाइम याद है न.....ठीक बारह से तीन के बीच...क्योंकि इसी समय पांच छ एक्सप्रस ट्रेने एक साथ ......."
".....मैंने कहा न आप इत्मिनान रखिए...."
थैंक यु सर ....आपने तो पहले भी मदद की है...
दो घंटे बाद एक साथ कई एक्सप्रेस गाड़ियाँ एक साथ आकर खड़ी हो जाती हैं भीषण गर्मी के मारे प्यास से व्याकुल हो रहे यात्री हाथ में खाली बोतल डिब्बा लिए अफरा तफरी में एक नल से दुसरे नल पर दोड़ते रहे परन्तु एक बूंद पानी नही मिला १
तब देखते ही देखते भीड़ चाय -पान की दुकानों पर उमड़ पड़ी जहाँ मिनरल वाटर की हजारों बोतलें पड़ी थी. देखते ही देखते हजारों बोतलें पानी मुंह मांगी कीमतों पर बिक गया.
          कुछ देर बाद युवती एनाउंस कर रही थी की---विद्युत् आपूर्ति में बाधा हो जाने के कारण नलों में पानी सप्लाई नहीं हो सका...इससे यात्रियों को जो असुविधा हुई उसके लिए हमें खेद है.

                                                                                      रामयतन यादव की कहानी [ ज्ञानोदय ]

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