Sunday, January 16, 2011

दानवीर कर्ण

महाभारत में जहाँ कर्ण की शूरवीरता का वर्णन है वहीं उसकी दानवीरता का भी वर्णन है. उसके पास कोई याचंक आया तो खाली हाथ कभी नहीं गया. एक बार कर्ण स्नान कर रहे थे. उसी समय एक याचक ने आकर कुछ देने की याचना की. कर्ण स्नान करते हुए सोने की  कटोरी से अपने शरीर पर तेल लगा  रहे थे. उनका बायाँ हाथ कटोरी पर था. उन्होंने उसी हाथ से वह कटोरी उठा कर याचक को दे दी. इस पर याचक ने कहा की हे दानवीर कर्ण क्या आपको मालूम नहीं है की बाएं हाथ से दान नहीं देना चाहिए. इस पर कर्ण ने कहा की मुझे ये मालूम है परन्तु मैं जब तक अपने बाएं हाथ की जगह दायाँ हाथ इस्तेमाल करने की कोशिश करता तब तक इस मन का क्या भरोसा ये बदल नहीं जायेगा. कर्ण की बात सुनकर याचक हक्का बक्का रह गया . उसके मुंह से निकला की सच में तुम्हारे मुकाबले का दूसरा दानी दुनिया में नहीं है.

****** अच्छे काम काम का फैसला लेने के बाद ज्यादा सोच विचार उसे कमजोर करता है.*******

No comments:

Post a Comment