Tuesday, January 18, 2011

धोखे के आदी

जब से बन्दर और मगरमच्छ वाली घटना हुई है दोनों समुदाए बहुत दुखी हैं. बन्दर समुदाए इसलिए दुखी है की कोई मित्र इतना धोखेबाज कैसे हो सकता है. और मगर समुदाए इसलिए दुखी है की बदनाम भी हुए और मकसद भी हल नहीं हुआ. इस पर मगर समुदाए ने दुबारा कोशिश करने का फैसला किया. मगर समुदाए के तीन-चार सदस्य बंदरों के पास पहुंचे. उन्होंने बंदरों से कहा की एक मगर की गलती की सजा पुरे समुदाए को नहीं देनी चाहिए. हम दुबारा आपसे मित्रता के सम्बन्ध बनाना चाहते हैं. इसलिए आपको अपना एक प्रतिनिधि एक बार हमारी बस्ती में भेजना चाहिए. बन्दर समुदाए में इसका कड़ा विरोध हुआ. मगर समुदाए के प्रतिनिधिओं ने आंसू बहाना शुरू किया और एक मौका देने की विनती की. इस पर कुछ बंदरों ने एक मौका देने के लिए कहा. एक बूढ़े बन्दर ने कहा की इनके आंसुओं पर मत जाओ, हिंदी में " मगर के आंसू " वाली कहावत यूँ ही नहीं बनी है. परन्तु मगर मच्छों के बार बार कहने पर बंदरों ने एक मौका देने की बात मान ली. बंदरों ने एक जवान बन्दर को उनके साथ उनकी बस्ती में भेजने का फैसला कर लिया.सबने आपस में सलाह करके एक बन्दर को उनके साथ भेज दिया. और उसके हाथ में एक थैला दे दिया. मगर मच्छ उस बन्दर को लेकर अपनी बस्ती में पहुंचे. वहां जाते ही उनका व्यवहार बदल गया. उन्होंने उनके बेवकूफ होने का मजाक उड़ाया. और बन्दर को मरने के लिए तैयार होने को कहा. परन्तु बन्दर के मुंह पर कोई घबराहट नहीं थी. इस पर मगर मच्छों को बड़ा आश्चर्य हुआ. उन्होंने इसका कारण पूछा. तो बन्दर ने कहा की मेरे हाथ में यह थैली देख रहे हो. इसमें दुनिया का सबसे खतरनाक जहर है. मैं इस जहर को तुम्हारे तालाब में डाल दूंगा और तुम्हारा पूरा समुदाए पांच मिनिट में समाप्त हो जायेगा.अब तो मगर मच्छ बहुत घबराए और बन्दर से माफ़ी मांगने लगे. बन्दर ने कहा की पहले मुझे वापिस मेरे घर भेजो. और मगर समुदाए ने एक बार फिर मुंह की खाकर उसे वापिस भेज दिया. उसके बाद दोनों समुदायों के संबंध हमेशा के लिए समाप्त हो गये.

****** शक्ति संतुलन अपनी तरफ न हो तो धोखेबाज लोगों से काम नहीं करना चाहिए.*********

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