Monday, February 7, 2011

दाग देहलवी की शायरी

रात दिन नामा-ओ -पैगाम कहाँ तक होगा,
साफ कह दीजीय मिलना हमे मंजूर नही  !

गजब किया तेरे वादे पे एतबार किया ,
तमाम रात कयामत का इंतजार किया !

लूटेंगी वो निगाहें हर कारवां दिल का ,
जब तक चलेगा रस्ता ये रहजनी रहेगी !

कुछ जहर न थी शराबे अंगूर ,
क्या चीज हराम हो गई है !

उनसे कह दी है आरजू दिल की,
अब मेरी बात का जवाब कहाँ !

No comments:

Post a Comment