सकारात्मक सोच कोल्ड स्टोरेज की तरह होती है !
जब कोई बीज जमीन पर डाला जाता है तो जरूरी नही होता की वह अंकुरित हो ! वह बीज बिना अंकुरित हुए ही नष्ट हो सकता है ! क्योंकि बीज को अंकुरित होने के लिए कई चीजें चाहिए ! इसमें सबसे जरूरी चीज है मौसम !
धीरे धीरे रे मना ,धीरे ही सब होए ,
माली सींचे सो घड़ा, रुत आये फल होए !
इसलिए माली भले सो घड़ा पानी डाले लेकिन फल तो रुत (मौसम ) आने पर ही लगता है ! बीज को अंकुरित होने के लिए अनुकूल मौसम के दूसरी भी भुत सी चीजों की जरूरत होती है , मिट्टी, पानी, हवा और धुप वगैरा ! इसलिए जब तक सब चीजें उसके अनुकूल नही होती , तब तक किसान उस बीज को सम्भालकर रखता है !
जल्दी खराब होने वाले बीजों को कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है !
इसी तरह मनुष्य जब अपने कार्यक्रमों को लागु करने की कोशिश करता है तो बहुत बार हालात उसके अनुकूल नही होते ! इसलिए उस काम को हालात के अनुकूल होने तक बचाकर रखना सबसे जरूरी होता है ! वरना वह विचार समाप्त हो जाता है ! और इस के लिए सकारात्मक सोच कोल्ड स्टोरेज का काम करती है ! निराशा विचार को मार देती है, हालात अनुकूल होने तक विचार ही नही बचता ! इसीलिए सकारात्मक सोच पर इतनी किताबें लिखी गयी हैं !
अगर आज हालात आपके अनुकूल नही हैं तो अपने विचार, अपने कार्यक्रम को मरने मत दीजिये ! उसे सही समय के लिए बचाकर रखिये ! हर काम हर समय हो ही जाये यह कोई जरूरी नही होता, परन्तु अगर आपने उसे बचाकर नही रख्खा तो वह कभी भी नही होगा !
बहुत अच्छी पोस्ट. सकारात्मक सोच के लिए नई अवधारणा
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