शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

भोर के स्वागत की तैयारी करो--6

                                    जीवन छोटी-छोटी चीजों से बनता है !   
                 यह एक वैज्ञानिक सत्य है की पूरी दुनिया छोटे छोटे अणुओं से मिलकर बनी है ! दनिया की हर वस्तु अलग अलग किस्म के छोटे छोटे अणुओं से मिलकर बनी है ! परन्तु इसमें इन अणुओं का एक निश्चित अनुपात होता है ! पानी के लिए hydrogen के दो और oxygen का एक अणु होना जरूरी है ! अगर यह अनुपात बदलता है तो दूसरा कुछ भी बने परन्तु पानी नही बन सकता ! इसी तरह मनुष्य का जीवन भी छोटी -छोटी बातों और विचारों से मिलकर बनता है ! मनुष्य के जीवन में होने वाली हर घटना, सफलता असफलता इन्ही छोटी -छोटी चीजों के मेल पर निर्भर करती हैं ! जहाँ इन चीजों का संतुलन बिगड़ा, उनके परिणाम भी बदल जाते हैं !
                    मनुष्य कई बार कामयाबी के लिए बड़े बड़े मैनेजमेंट गुरुओं की किताबें पड़ता है, उनके सेमिनार सुनता है  और उनकी कही हुई  बड़ी बड़ी बातों को लागु करने की कोशिश करता है , परन्तु उसे वह परिणाम नही मिलते जिनकी वह उम्मीद करता है ! होता यह है की वह बड़ी चीजों का तो ध्यान रखता है, परन्तु छोटी चीजों को नजरंदाज क्र देता है ! इससे उसका सारा रासायनिक संतुलन बिगड़ जाता है और परिणाम स्वरूप कुछ दूसरी ही चीज सामने आती है ! जीवन छोटी छोटी चीजों से मिलकर बना है, और सामान्य बातें जीवन में सबसे ज्यादा महत्व रखती हैं ! मनुष्य को अपने सहयोगियों के साथ सम्मान पूर्वक व्यवहार करना चाहिए, उसे बेईमानी से दूर रहना चाहिए, अपना प्राथमिकतायें तय करनी चाहियें, फैसलों  को लागु करना चाहिए, मेहनत करनी चाहिए, ये सब सामान्य बातें हैं जिन्हें हर आदमी जानता है, परन्तु इनकी कमी ही उसका संतुलन बिगाडती है जिन्हें वह समझ ही नही पाता ! जिस तरह दुनिया रासायनिक रूप से निश्चित अणुओं के निश्चित अनुपात पर बनी हुई है , उसी तरह मनुष्य का जीवन भी घटनाओं और विचारों के निश्चित अनुपात पर टिका हुआ है ! कामयाबी के लिए छोटी छोटी बातों पर ध्यान दीजिये , बड़े परिणाम इन्ही चीजों के योग पर निर्भर करते हैं !

शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

भोर के स्वागत की तैयारी करो--5

                                          सकारात्मक  सोच कोल्ड स्टोरेज की तरह होती है !

                        जब कोई बीज जमीन पर डाला जाता है तो जरूरी नही होता की वह अंकुरित हो ! वह बीज बिना अंकुरित हुए ही नष्ट हो सकता है ! क्योंकि बीज को अंकुरित होने के लिए कई चीजें चाहिए ! इसमें सबसे जरूरी चीज है मौसम !
                                             धीरे  धीरे  रे  मना ,धीरे  ही  सब  होए ,
                                              माली सींचे सो घड़ा, रुत आये फल होए !
                            इसलिए माली भले सो घड़ा पानी डाले लेकिन फल तो रुत (मौसम ) आने पर ही लगता है ! बीज को अंकुरित होने के लिए अनुकूल मौसम के दूसरी भी भुत सी चीजों की जरूरत होती है , मिट्टी, पानी, हवा और धुप वगैरा ! इसलिए जब तक सब चीजें उसके अनुकूल नही होती , तब तक किसान उस बीज को सम्भालकर रखता है !
जल्दी खराब होने वाले बीजों को कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है !
                              इसी तरह मनुष्य जब अपने कार्यक्रमों को लागु करने की कोशिश करता है तो  बहुत बार हालात उसके अनुकूल नही होते ! इसलिए उस काम को हालात के अनुकूल होने तक बचाकर रखना सबसे जरूरी होता है ! वरना वह विचार समाप्त हो जाता है ! और इस के लिए सकारात्मक सोच कोल्ड स्टोरेज का काम करती है ! निराशा विचार को मार देती है, हालात अनुकूल होने तक विचार ही नही बचता ! इसीलिए सकारात्मक सोच पर इतनी किताबें लिखी गयी हैं !
                                  अगर आज हालात आपके अनुकूल नही हैं तो अपने विचार, अपने कार्यक्रम को मरने मत दीजिये ! उसे सही समय के लिए बचाकर रखिये ! हर काम हर समय हो ही जाये यह कोई जरूरी नही होता, परन्तु अगर आपने उसे बचाकर नही रख्खा तो वह कभी भी नही होगा !

बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

भोर के स्वागत की तैयारी करो--4

अनुशासन हीन मनुष्य कटी हुई पतंग की तरह होता है !
मनुष्य की कामयाबी के लिए एक अच्छी प्लानिंग और दूसरी कई चीजों की जरूरत होती है ! इसमें एक चीज जो सबसे जरूरी होती है, वह है अनुशासन ! एक पुराणी कहावत है की ज्यादातर लड़ाईयां बिना लड़े हारी जाती हैं , उसी तरह ज्यादातर अच्छी प्लानिंग बिना लागू किये असफल हुई हैं !अनुशासन का मतलब केवल समय पर उठना या समय पर ऑफिस जाना नही होता, अनुशासन का मतलब लिए हुए फैंसले समय पर लागू करना होता है ! कई मनुष्य प्लानिंग के मामले में बहुत तेज होतें हैं, परन्तु अनुशासन के अभाव में उन्हें लागू नही कर पाते और इसलिए असफल हो जातें हैं ! ऐसे मनुष्य कटी हुई पतंग की तरह होते हैं , जो उडती तो जरुर है परन्तु कहाँ पहुंचेगी किसी को नही मालूम होता ! मनुष्य का जो जोश प्लानिंग करने में दिखाई देता है, उसका आधा भी अगर उसके लागू करने में दिखाई दे तो कामयाबी उसके सामने चलकर आती है ! मेहनत को भी अगर अनुशासन हीन तरीके से किया जाये तो उसका भी कोई मतलब नही रह जाता ! इसलिए अनुशासन कामयाबी के लिए जरूरी तीन आधारभूत चीजों में से एक चीज है !

रविवार, 13 फ़रवरी 2011

फैज अहमद फैज की बरसी पर छोटी सी श्रद्धांजली !

यूँ ही उलझती रही है हमेशा जुल्म से खल्क,
                                  न उनकी रस्म नई है न अपनी रीत नई !
यूँ ही खिलाये हैं हमने हमेशा आग में फूल,
                                   न उनकी हार नई है न अपनी जीत नई !

       इन शब्दों के रचयिता और महान क्रन्तिकारी शायर फैज अहमद फैज को उनकी बरसी पर छोटी सी श्रद्धांजली !

मिश्र  की घटनाओं ने फिर फैज  को सही साबित किया ! फैज ने कभी भी भारत और पाकिस्तान के बंटवारे को स्वीकार नही किया! वह इसे साम्राज्यवादी और साम्प्रदायिक ताकतों की साजिश मानते थे ! बंटवारे के बाद सालों पाकिस्तान की जेलों में रहे !

बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

भोर के स्वागत की तैयारी करो--3

----जो सही नही है, वह निश्चित रूप से गलत है !---------

                मनुष्य जब भी कोई काम करता है, यहाँ तक की अपराध भी करता है तो उससे पहले वह अपने मन को उसकी जरूरत के लिए समझा लेता है ! बिना मन को समझाय कोई भी काम करना मुश्किल होता है ! यह काम मनुष्य तब भी करता है जब वह अपनी गलतियों और कमजोरियों को छुपाता है ! मनुष्य अपनी कमजोरियों को मजबूरी या किसी दूसरी शक्ल में वाजिब ठहराता है ! यहीं से उसके असफल होने की शुरुआत हो जाती है !
                 कोई भी मनुष्य बिना कमजोरियों के नही होता ! लेकिन कामयाब लोग अपनी कमजोरियों को पहचान कर उन्हें दूर कर लेते हैं, और नाकामयाब लोग उनके लिए बहाने ढूंढ़ लेते हैं ! एक बात आदमी को हमेशा याद रखनी चाहिए की" जो सही नही है वह निश्चित रूप से गलत है " ! कोई बीच का रास्ता नही होता ! जब तक मनुष्य अपनी कमजोरियों को पहचान कर ये नही मान लेता की यह कमजोरी है, वह कभी भी उसको दूर नही कर सकता ! इसलिए मनुष्य को कामयाब होने के लिए निर्मम आत्मालोचना  करनी चाहिए ! जो मनुष्य यह कर सकता है,  दुनिया की कोई भी ताकत उसको असफल नही कर सकती !
                 यह कामयाबी का पहला कदम है !

सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

दाग देहलवी की शायरी

रात दिन नामा-ओ -पैगाम कहाँ तक होगा,
साफ कह दीजीय मिलना हमे मंजूर नही  !

गजब किया तेरे वादे पे एतबार किया ,
तमाम रात कयामत का इंतजार किया !

लूटेंगी वो निगाहें हर कारवां दिल का ,
जब तक चलेगा रस्ता ये रहजनी रहेगी !

कुछ जहर न थी शराबे अंगूर ,
क्या चीज हराम हो गई है !

उनसे कह दी है आरजू दिल की,
अब मेरी बात का जवाब कहाँ !

भोर के स्वागत की तैयारी करो--2

-------प्रेम एक शाश्वत मुल्य है !--------
एक बार महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के साथ बैठे हुए थे ! बात चल रही थी की मनुष्य के संत होने और देवता होने की प्रकिर्या कैसे बनती है ! यह कैसे माना जाये की यह आदमी संत हो गया है या देवता की श्रेणी में पहुंच गया है! इस पर महात्मा बुद्ध ने जवाब दिया की जीवन में प्रेम एक शाश्वत मूल्य होता है ! जब मनुष्य के प्रेम के दायरे में सभी लोग आ जातें हैं, भले ही किसी जाती, धर्म,स्थान और नस्ल से सम्बन्ध रखते हों तो आदमी संत की श्रेणी में आ जाता है, और जब दुश्मन भी उसके प्रेम के दायरे में आ जातें हैं तो आदमी देवता की श्रेणी में आ जाता है !
                                      कितना सटीक उत्तर दिया महात्मा बुद्ध ने ! आज हजारों लोग अपने नाम के आगे संत शब्द का इस्तेमाल करते हैं ! परन्तु क्या उनका आचरण संत के लायक है ? उनके अनुयायियों को छोडकर बाकि लोगों की राय उनके बारे में कैसी होती है ? इसी तरह सामाजिक और आर्थिक व्यवहार में बेईमान आदमी चाहे कितने मन्दिरों का चक्कर लगा ले या कितने सत्संग घूम ले वह कभी भी अपने स्तर से उपर नही उठ सकता ! मानव जीवन का उद्देश्य मूल्यों का संचय करना होता है और एक आदमी यह कहकर की बिजनस की बात अलग है अपने व्यक्तित्व के दो हिस्से नही कर सकता ! मूल्यों का संचय एक लगातार और विचार और आचरण से जुडा हुआ कार्य है इसे हिस्सों में नही बांटा जा सकता !इसलिय आदमी को मुश्किल समय में भी बिज़नस के स्थापित सिद्धांतो को नही छोड़ना चाहिए !उसका सही आचरण ही उसको मुश्किलों से निकालेगा और उसके व्यवहार से ही उसको सहायता मिलेगी !समय गुजर जाता है लेकिन नैतिक पतन से उबरना बहुत मुश्किल होता है !

शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

भोर के स्वागत की तैयारी करो

----"सफल न होने के हजार कारण हो सकते हैं, परन्तु असफल होने का एक ही कारण होता है, छोड़ देना !"-------

                             एक आदमी किसी काम के लिए मेहनत करता है, परन्तु उसे वांछित सफलता नही मिलती. इसलिए हम उसके बारे में कह सकते हैं की वो अब तक कामयाब नही हुआ. सफल न होना और असफल हो जाना दो अलग अलग चीजें हैं.                                                                              जब कोई वैज्ञानिक किसी खोज में लगा होता है तो हो सकता है की वह सालों तक कामयाब न हो. तब तक उसे कोई नही जानता परन्तु एक दिन जब वह कामयाब हो जाता है तो उसी दिन सारी दुनिया उसे जान जाती है. अगर वह कामयाब होने से कुछ दिन पहले थक कर छोड़ देता तो जरुर असफल हो जाता.
                              दुसरे शब्दों में आप इसे इस तरह कह सकते हैं की जैसे कोई आदमी हथौड़े से किसी पत्थर को तोड़ने की कोशिश कर रहा होता है परन्तु किस चोट के बाद पत्थर टूटने वाला है उसे नही पता होता, अगर वह अपनी कोशिश बीच में ही छोड़ देता है तो हो सकता है की उससे अगली ही चोट में पत्थर टूटना होता. लोग अक्सर सफलता के बहुत नजदीक अपनी कोशिश छोड़ देतें हैं, और असफल कहलातें हैं.
                               इसलिए कभी भी " छोडिये मत "!  सफल होने के तरीके उसके बाद शुरू होतें हैं.

बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

राम मेश्राम की कविता ----कक्का जी

           कक्का जी
जागा बचपन मेरे अंदर कक्का जी,
हरा समन्दर,गोपी चन्दर कक्का जी.

उल्ट -पलट शतरंज सियासत की करके,
माया के घर लुटा मछन्दर कक्का जी.

कहा-सुना, देखा उस दिन से सकते में,
गाँधी जी के तीनो बन्दर कक्का जी.

काला जादू है चुनाव की पुडिया में,
जनता का हर दुःख छू मन्तर कक्का जी.

भरता नही हरगिज अमा कुछ भी कर लो,
बहुत बड़ा सुराख़ मुकद्दर कक्का जी.

लोकतंत्र की ऐसी तैसी कर डाली,
हमसे बढकर  कौन धुरंधर कक्का जी.

बना दिया कुछ रोटी ने कुछ किस्मत ने,
अच्छे अच्छों को घनचक्कर कक्का जी.

रोज आपको दुनिया कब तक करे सलाम,
आप कहाँ के शाह सिकन्दर कक्का जी.

सारी उम्र 'सिफर' पूजा का तोहफा है,
रोज मुकद्दर देता टक्कर कक्का जी.

हुआ आज तक यही,यही सब कल होगा,
कहे दमादम मस्त कलंदर कक्का जी.