आज फिर हर रोज़ वाले मित्र से मुलाक़ात हुई ।
वो आज भी हर रोज़ की तरह परेशान था । उसकी परेशानियों के वही कारण थे जो अमूमन होते थे । लेबर की समस्या है, प्रोडक्शन टाइम पर नहीं हो रहा है, पार्टियाँ ख़राब हो जायेंगी , बिजली की सप्लाई भी अनियमित है , लड़का काम में ध्यान नहीं देता इत्यादि इत्यादि ।
आज मैंने सोचा उससे बैठकर बात की जाये । मैंने उसे पास के पार्क में कुछ देर बैठने के लिये कहा । उसके चेहरे पर जल्दबाज़ी के भाव थे लेकिन वो मेरे साथ पार्क में चला गया । हम दोनों एक बैंच पर बैठ गये ।
क्या परेशानी है ? मैंने उससे पूछा ।
परेशानी कोई एक हो तो बताऊँ , यहाँ तो कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है । उसने लगभग हताश स्वर में कहा ।
मैंने उसे कहा क्या इस समय को पहचानते हो ?
इस समय मतलब ?
मतलब ये समय जिसमे हम बैठे हैं । मैंने कहा ।
मैं कुछ समझा नहीं । उसने पूछने के अन्दाज़ में कहा ।
मैंने कहा, मैं इस समय की बात कर रहा हूँ, आज की अभी कि । याद करो ये वही कल है जिसके लिए तुम कल इतना परेशान थे । क्या तुम्हें नहीं लगता की इस आज के लिए कल तुम्हारी परेशानी व्यर्थ थी ?
बात तो तुम्हारी ठीक है । उसने आश्चर्य के साथ कहा ।
तो समझ लो आने वाले कल के लिए जो तुम आज परेशान हो रहे हो वो भी उसी तरह व्यर्थ है । मैंने कहा ।
ठीक है भाई साहब लेकिन जीवन में परेशानियाँ तो होती हैं न । उसने कहा ।
जीवन में परेशानियाँ नहीं समस्याएँ होती हैं जिनमे से बहुतों का हल निकाला जा सकता है सही प्लानिंग से, विचार से , बहुत कम समस्याएँ ऐसी होती हैं जिनका समाधान हम अपनी इच्छा अनुसार नहीं ढूँढ सकते, और परेशान होकर तो बिलकुल भी नहीं । मैंने कहा ।
बात तो आपकी ठीक ही है । उसने कहा । अब उसके चेहरे से परेशानी के भाव कम हो गये थे ।
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